संगमक: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक देव । यह वर्द्धमान के पराक्रम की परीक्षा करने के लिए स्वर्ग से उनके पास आया था । वर्द्धमान और उनके साथियों को डराने के लिए यह सर्प का रूप धारण करके वृक्ष के तने से लिपट गया था । वर्द्धमान के साथी डरकर डालियों से कूदकर भाग गये, किंतु वर्द्धमान ने सर्प पर चढ़कर निर्भयता पूर्वक क्रीड़ा की थी । वर्द्धमान की इस निडरता से प्रसन्न होकर इस देव ने उनको महावीर इस नाम से संबोधित कर के उनकी स्तुति की । <span class="GRef"> महापुराण 74. 289-295, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 10. 23-37 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) एक देव । यह वर्द्धमान के पराक्रम की परीक्षा करने के लिए स्वर्ग से उनके पास आया था । वर्द्धमान और उनके साथियों को डराने के लिए यह सर्प का रूप धारण करके वृक्ष के तने से लिपट गया था । वर्द्धमान के साथी डरकर डालियों से कूदकर भाग गये, किंतु वर्द्धमान ने सर्प पर चढ़कर निर्भयता पूर्वक क्रीड़ा की थी । वर्द्धमान की इस निडरता से प्रसन्न होकर इस देव ने उनको महावीर इस नाम से संबोधित कर के उनकी स्तुति की । <span class="GRef"> महापुराण 74. 289-295, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 10. 23-37 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पाताललोक का निवासी एक देव । पूर्वधातकीखंड के भरतक्षेत्र की अमरकंकापुरी के राजा पद्मनाभ ने द्रौपदी को पाने की इच्छा है इस देव की आराधना की थी । आराधना के फलस्वरूप यह देव द्रौपदी को पद््मनाथ की नगरी में उठा लाया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 54.8-13 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 21.52-58 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) पाताललोक का निवासी एक देव । पूर्वधातकीखंड के भरतक्षेत्र की अमरकंकापुरी के राजा पद्मनाभ ने द्रौपदी को पाने की इच्छा है इस देव की आराधना की थी । आराधना के फलस्वरूप यह देव द्रौपदी को पद््मनाथ की नगरी में उठा लाया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_54#8|हरिवंशपुराण - 54.8-13]] </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 21.52-58 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
(1) एक देव । यह वर्द्धमान के पराक्रम की परीक्षा करने के लिए स्वर्ग से उनके पास आया था । वर्द्धमान और उनके साथियों को डराने के लिए यह सर्प का रूप धारण करके वृक्ष के तने से लिपट गया था । वर्द्धमान के साथी डरकर डालियों से कूदकर भाग गये, किंतु वर्द्धमान ने सर्प पर चढ़कर निर्भयता पूर्वक क्रीड़ा की थी । वर्द्धमान की इस निडरता से प्रसन्न होकर इस देव ने उनको महावीर इस नाम से संबोधित कर के उनकी स्तुति की । महापुराण 74. 289-295, वीरवर्द्धमान चरित्र 10. 23-37
(2) पाताललोक का निवासी एक देव । पूर्वधातकीखंड के भरतक्षेत्र की अमरकंकापुरी के राजा पद्मनाभ ने द्रौपदी को पाने की इच्छा है इस देव की आराधना की थी । आराधना के फलस्वरूप यह देव द्रौपदी को पद््मनाथ की नगरी में उठा लाया था । हरिवंशपुराण - 54.8-13 पांडवपुराण 21.52-58