संगमक
From जैनकोष
(1) एक देव । यह वर्द्धमान के पराक्रम की परीक्षा करने के लिए स्वर्ग से उनके पास आया था । वर्द्धमान और उनके साथियों को डराने के लिए यह सर्प का रूप धारण करके वृक्ष के तने से लिपट गया था । वर्द्धमान के साथी डरकर डालियों से कूदकर भाग गये, किंतु वर्द्धमान ने सर्प पर चढ़कर निर्भयता पूर्वक क्रीड़ा की थी । वर्द्धमान की इस निडरता से प्रसन्न होकर इस देव ने उनको महावीर इस नाम से संबोधित कर के उनकी स्तुति की । महापुराण 74. 289-295, वीरवर्द्धमान चरित्र 10. 23-37
(2) पाताललोक का निवासी एक देव । पूर्वधातकीखंड के भरतक्षेत्र की अमरकंकापुरी के राजा पद्मनाभ ने द्रौपदी को पाने की इच्छा है इस देव की आराधना की थी । आराधना के फलस्वरूप यह देव द्रौपदी को पद््मनाथ की नगरी में उठा लाया था । हरिवंशपुराण - 54.8-13 पांडवपुराण 21.52-58