कनक: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> (4) धृतवर समुद्र का रक्षक देव । </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.642 </span><br> | <span class="HindiText"> (4) धृतवर समुद्र का रक्षक देव । </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.642 </span><br> | ||
<span class="HindiText"> (5) कुंडलगिरि की पूर्व दिशा का एक कूट । यह महाशिरस् नामक देव की निवासभूमि था ।</span> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.690 </span><br> | <span class="HindiText"> (5) कुंडलगिरि की पूर्व दिशा का एक कूट । यह महाशिरस् नामक देव की निवासभूमि था ।</span> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.690 </span><br> | ||
<span class="HindiText"> (6) कनकाभ नगर का राजा । कनकश्री इसकी रानी तथा कनकावली इसकी पुत्री थी ।</span> <span class="GRef">पद्मपुराण 6.567 </span><br> | <span class="HindiText"> (6) कनकाभ नगर का राजा । कनकश्री इसकी रानी तथा कनकावली इसकी पुत्री थी ।</span> <span class="GRef">[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#567|पद्मपुराण -6. 567]] </span><br> | ||
<span class="HindiText"> (7) एक राजा । इसकी रानी का नाम संध्या, तथा पुत्री का नाम विद्युत्प्रभा था ।दशानन इसका जामाता था ।</span><span class="GRef"> पद्मपुराण 8.105 </span><br> | <span class="HindiText"> (7) एक राजा । इसकी रानी का नाम संध्या, तथा पुत्री का नाम विद्युत्प्रभा था ।दशानन इसका जामाता था ।</span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_8#105|पद्मपुराण -8. 105]] </span><br> | ||
<span class="HindiText"> (8) एक शस्त्र । इससे रथ तोड़े जा सकते थे । <span><span class="GRef"> पद्मपुराण 12.211,234 </span><br> | <span class="HindiText"> (8) एक शस्त्र । इससे रथ तोड़े जा सकते थे । <span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_12#211|पद्मपुराण - 12.211]],234 </span><br> | ||
<span class="HindiText"> (9) मृत्तिकावपी नगरी का निवासी वणिक् । यह बंधुदत्त का पिता था ।</span><span class="GRef"> पद्मपुराण 48.43 </span><br> | <span class="HindiText"> (9) मृत्तिकावपी नगरी का निवासी वणिक् । यह बंधुदत्त का पिता था ।</span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_48#43|पद्मपुराण - 48.43]] </span><br> | ||
<span class="HindiText"> (10) रावण का व्याघ्ररथी योद्धा ।</span><span class="GRef">पद्मपुराण 57.49-52 </span><br> | <span class="HindiText"> (10) रावण का व्याघ्ररथी योद्धा ।</span><span class="GRef">[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_57#49|पद्मपुराण - 57.49-52]] </span><br> | ||
<span class="HindiText"> (11) राजा जनक का अनुज । म्लेच्छराज के साथ हुए युद्ध में यह लड़ा था । यह सम्यग्दृष्टि था । मरकर यह आनत स्वर्ग में देव हुआ था ।<span class="GRef"> पद्मपुराण 27.50-51, | <span class="HindiText"> (11) राजा जनक का अनुज । म्लेच्छराज के साथ हुए युद्ध में यह लड़ा था । यह सम्यग्दृष्टि था । मरकर यह आनत स्वर्ग में देव हुआ था ।<span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_27#50|पद्मपुराण - 27.50-51]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_27#12|पद्मपुराण - 27.12]]3.80-81 </span></span> | ||
Revision as of 22:17, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
दक्षिण क्षौद्रवर द्वीप तथा घृतवर समुद्र के रक्षक व्यंतर देव–देखें व्यंतर - 4।
पुराणकोष से
(1)स्वर्ण अर्थ में व्यवहृत शब्द । महापुराण 3.36
(2)भविष्यत् कालीन प्रथम कुलकर । महापुराण 76.483, हरिवंशपुराण 60.555
(3)धृतराष्ट्र तथा उसकी रानी गांधारी का पुत्र । पांडवपुराण 8.205
(4) धृतवर समुद्र का रक्षक देव । हरिवंशपुराण 5.642
(5) कुंडलगिरि की पूर्व दिशा का एक कूट । यह महाशिरस् नामक देव की निवासभूमि था । हरिवंशपुराण 5.690
(6) कनकाभ नगर का राजा । कनकश्री इसकी रानी तथा कनकावली इसकी पुत्री थी । पद्मपुराण -6. 567
(7) एक राजा । इसकी रानी का नाम संध्या, तथा पुत्री का नाम विद्युत्प्रभा था ।दशानन इसका जामाता था । पद्मपुराण -8. 105
(8) एक शस्त्र । इससे रथ तोड़े जा सकते थे । पद्मपुराण - 12.211,234
(9) मृत्तिकावपी नगरी का निवासी वणिक् । यह बंधुदत्त का पिता था । पद्मपुराण - 48.43
(10) रावण का व्याघ्ररथी योद्धा ।पद्मपुराण - 57.49-52
(11) राजा जनक का अनुज । म्लेच्छराज के साथ हुए युद्ध में यह लड़ा था । यह सम्यग्दृष्टि था । मरकर यह आनत स्वर्ग में देव हुआ था । पद्मपुराण - 27.50-51,पद्मपुराण - 27.123.80-81