सुभद्र: Difference between revisions
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<p id="4">(4) एक मुनि। कृष्ण की पटरानी गौरी ने चौथे पूर्वभव में यशस्विनी की पर्याय में इन्हीं से प्रोषधव्रत लिया था। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 89-100 </span></p> | <p id="4">(4) एक मुनि। कृष्ण की पटरानी गौरी ने चौथे पूर्वभव में यशस्विनी की पर्याय में इन्हीं से प्रोषधव्रत लिया था। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 89-100 </span></p> | ||
<p id="5">(5) कौशांबी नगरी का एक सेठ। सुमित्रा इसकी स्त्री थी। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.101 </span></p> | <p id="5">(5) कौशांबी नगरी का एक सेठ। सुमित्रा इसकी स्त्री थी। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.101 </span></p> | ||
<p id="6">(6) सूर्यवंशी राजा अमृत का पुत्र। राजा सागर इसका पुत्र था। <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.6 </span></p> | <p id="6">(6) सूर्यवंशी राजा अमृत का पुत्र। राजा सागर इसका पुत्र था। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#6|पद्मपुराण - 5.6]] </span></p> | ||
<p id="7">(7) दूसरे नारायण द्विपृष्ठ के पूर्वभव के दीक्षागुरु। <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 216 </span></p> | <p id="7">(7) दूसरे नारायण द्विपृष्ठ के पूर्वभव के दीक्षागुरु। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#216|पद्मपुराण - 20.216]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) नंदीश्वर समुद्र का एक रक्षक देव। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.645 </span></p> | <p id="8">(8) नंदीश्वर समुद्र का एक रक्षक देव। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.645 </span></p> | ||
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Revision as of 22:36, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
- यक्ष जाति के व्यंतर देवों का एक भेद- देखें यक्ष ,
- नवग्रैवेयक का पाँचवाँ पटल व इंद्रक- देखें स्वर्ग - 5.3
- अरुणीवर द्वीप का रक्षक व्यंतर देव- देखें व्यंतर - 4.7
- नंदीश्वर द्वीप का रक्षक व्यंतर देव- देखें व्यंतर - 4.7
- रुचक पर्वतस्थ एक कूट- देखें लोक - 5.13
- श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भगवान् वीर के पश्चात् मूल गुरु परंपरा में दश अंगधारी अथवा दूसरी मान्यतानुसार केवल आचारांग धारी थे। समय-वी.नि.468-474 ई.पू.59-63- देखें इतिहास - 4.2
पुराणकोष से
(1) तीर्थंकर महावीर का निर्वाण होने के पश्चात् हुए आचारांग के ज्ञाता चार मुनियों में प्रथम मुनि। महापुराण 2.149-150, 76.525, हरिवंशपुराण 1. 65, 66.24, वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 50
(2) मध्यम ग्रैवेयक का एक इंद्रक विमान। महापुराण 53. 15, 73, 40, हरिवंशपुराण 6.52
(3) क्षेम नगर का एक श्रेष्ठी। इसकी पुत्री क्षेमसुंदरी जीवंधर कुमार को विवाही गयी थी। महापुराण 75.403, 410-411, 415
(4) एक मुनि। कृष्ण की पटरानी गौरी ने चौथे पूर्वभव में यशस्विनी की पर्याय में इन्हीं से प्रोषधव्रत लिया था। हरिवंशपुराण 60. 89-100
(5) कौशांबी नगरी का एक सेठ। सुमित्रा इसकी स्त्री थी। हरिवंशपुराण 60.101
(6) सूर्यवंशी राजा अमृत का पुत्र। राजा सागर इसका पुत्र था। पद्मपुराण - 5.6
(7) दूसरे नारायण द्विपृष्ठ के पूर्वभव के दीक्षागुरु। पद्मपुराण - 20.216
(8) नंदीश्वर समुद्र का एक रक्षक देव। हरिवंशपुराण 5.645