चंद्रनखा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> रत्नश्रवा और केकसी की पुत्री । यह दशानन की बहिन, खरदूषण की पत्नी, शंबूक और सुंद नामक पुत्रों तथा अनंगपुष्पा कन्या की जननी थी । इसने राम को अपना पति बनाना चाहा था, किंतु राम के द्वारा उसका निवेदन स्वीकार न किये जाने पर यह लक्ष्मण के पास गयी । लक्ष्मण से भी हताश होकर इसने अपना रूप क्षत-विक्षत कर लिया और अपने पति खरदूषण से लक्ष्मण के आरोपित दुर्व्यवहार की शिकायत की । इसने अपने पति को लक्ष्मण से युद्ध करने के लिए विवश कर दिया । युद्ध में खरदुषण मारा गया । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#222|पद्मपुराण - 7.222-225]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_78#95|19.101-102]], ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_43#40|43.40-44]], ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_43#109|43.109-112]] </span>राम-रावण युद्ध में रावण का वध होते ही मंदोदरी के साथ इसने भी शशिकांता आर्यिका से दीक्षा ले ली । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_78#94|78.94-95]] </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> रत्नश्रवा और केकसी की पुत्री । यह दशानन की बहिन, खरदूषण की पत्नी, शंबूक और सुंद नामक पुत्रों तथा अनंगपुष्पा कन्या की जननी थी । इसने राम को अपना पति बनाना चाहा था, किंतु राम के द्वारा उसका निवेदन स्वीकार न किये जाने पर यह लक्ष्मण के पास गयी । लक्ष्मण से भी हताश होकर इसने अपना रूप क्षत-विक्षत कर लिया और अपने पति खरदूषण से लक्ष्मण के आरोपित दुर्व्यवहार की शिकायत की । इसने अपने पति को लक्ष्मण से युद्ध करने के लिए विवश कर दिया । युद्ध में खरदुषण मारा गया । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#222|पद्मपुराण - 7.222-225]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_78#95|19.101-102]], ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_43#40|43.40-44]], ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_43#109|43.109-112]] </span>राम-रावण युद्ध में रावण का वध होते ही मंदोदरी के साथ इसने भी शशिकांता आर्यिका से दीक्षा ले ली । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_78#94|78.94-95]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:42, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
( पद्मपुराण - 7.224 ) रत्नश्रवा की पुत्री और रावण की बहन थी। ( पद्मपुराण - 7.43 ) खरदूषण की स्त्री थी। ( पद्मपुराण - 78.95 ) रावण की मृत्यु पर दीक्षा धारण कर ली।
पुराणकोष से
रत्नश्रवा और केकसी की पुत्री । यह दशानन की बहिन, खरदूषण की पत्नी, शंबूक और सुंद नामक पुत्रों तथा अनंगपुष्पा कन्या की जननी थी । इसने राम को अपना पति बनाना चाहा था, किंतु राम के द्वारा उसका निवेदन स्वीकार न किये जाने पर यह लक्ष्मण के पास गयी । लक्ष्मण से भी हताश होकर इसने अपना रूप क्षत-विक्षत कर लिया और अपने पति खरदूषण से लक्ष्मण के आरोपित दुर्व्यवहार की शिकायत की । इसने अपने पति को लक्ष्मण से युद्ध करने के लिए विवश कर दिया । युद्ध में खरदुषण मारा गया । पद्मपुराण - 7.222-225, 19.101-102, (43.40-44, (43.109-112 राम-रावण युद्ध में रावण का वध होते ही मंदोदरी के साथ इसने भी शशिकांता आर्यिका से दीक्षा ले ली । 78.94-95