रुक्मिणी: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 13: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) रावण की रानी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_77#13|पद्मपुराण - 77.13]] </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) रावण की रानी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_77#13|पद्मपुराण - 77.13]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) कुंडिनपुर के राजा भीष्म और रानी श्रीमती की पुत्री । इसके पिता ने इसे शिशुपाल को देना चाहा था किंतु नारद के कहने पर कृष्ण शिशुपाल को मारकर तथा रुक्मी को नागपाश से बाँधकर इसे हर लाये थे । उन्होंने गिरिनार पर्वत पर इसे विवाहा और अपनी पटरानी बनाया था । प्रद्युम्न इसका पुत्र था । वैर वश धूमकेतु ज्योतिषी देव जन्मते ही प्रद्युम्न को उठा ले गया था । उसने उसे खदिरसार अटवी में तक्षशिला के नीचे दबाया था । पुत्र-वियोग से यह दु:खी हुई । नारद से ज्ञातकर कृष्ण ने इसे इसका पुत्र पुंडरीकिणी में बताया था तथा यह भी कहा था कि वह अपने पुत्र से सोलह वर्ष बाद मिल सकेगी । भविष्यवाणी के अनुसार नियत समय पर इसकी पुत्र से भेट हुई । कृष्ण के द्वारा अनुमति दिये जाने पर अंत में यह कृष्ण की सभी पटरानियों और पुत्र-वधुओं के साथ दीक्षित हो गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.355-358, 72.47-53, 68-72, 149-153, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#228|पद्मपुराण - 20.228]], </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 42.33-34, 43.39-48, 89-96, 61. 37-40, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 12.3-15 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) कुंडिनपुर के राजा भीष्म और रानी श्रीमती की पुत्री । इसके पिता ने इसे शिशुपाल को देना चाहा था किंतु नारद के कहने पर कृष्ण शिशुपाल को मारकर तथा रुक्मी को नागपाश से बाँधकर इसे हर लाये थे । उन्होंने गिरिनार पर्वत पर इसे विवाहा और अपनी पटरानी बनाया था । प्रद्युम्न इसका पुत्र था । वैर वश धूमकेतु ज्योतिषी देव जन्मते ही प्रद्युम्न को उठा ले गया था । उसने उसे खदिरसार अटवी में तक्षशिला के नीचे दबाया था । पुत्र-वियोग से यह दु:खी हुई । नारद से ज्ञातकर कृष्ण ने इसे इसका पुत्र पुंडरीकिणी में बताया था तथा यह भी कहा था कि वह अपने पुत्र से सोलह वर्ष बाद मिल सकेगी । भविष्यवाणी के अनुसार नियत समय पर इसकी पुत्र से भेट हुई । कृष्ण के द्वारा अनुमति दिये जाने पर अंत में यह कृष्ण की सभी पटरानियों और पुत्र-वधुओं के साथ दीक्षित हो गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.355-358, 72.47-53, 68-72, 149-153, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#228|पद्मपुराण - 20.228]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_42#33|हरिवंशपुराण - 42.33-34]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_43#39|हरिवंशपुराण - 43.39]-48, 89-96, 61. 37-40, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 12.3-15 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
−( हरिवंशपुराण/ सर्ग/श्लोक नं.
भीष्म राजा की पुत्री थी। (42/35)। कृष्ण द्वारा हरकर विवाह ली गयी (42/34) जन्मते ही इसका प्रद्युम्न नाम का पुत्र हर लिया गया था। (43/42)। अंत में दीक्षा धारण कर ली। (61/40)।
पुराणकोष से
(1) रावण की रानी । पद्मपुराण - 77.13
(2) कुंडिनपुर के राजा भीष्म और रानी श्रीमती की पुत्री । इसके पिता ने इसे शिशुपाल को देना चाहा था किंतु नारद के कहने पर कृष्ण शिशुपाल को मारकर तथा रुक्मी को नागपाश से बाँधकर इसे हर लाये थे । उन्होंने गिरिनार पर्वत पर इसे विवाहा और अपनी पटरानी बनाया था । प्रद्युम्न इसका पुत्र था । वैर वश धूमकेतु ज्योतिषी देव जन्मते ही प्रद्युम्न को उठा ले गया था । उसने उसे खदिरसार अटवी में तक्षशिला के नीचे दबाया था । पुत्र-वियोग से यह दु:खी हुई । नारद से ज्ञातकर कृष्ण ने इसे इसका पुत्र पुंडरीकिणी में बताया था तथा यह भी कहा था कि वह अपने पुत्र से सोलह वर्ष बाद मिल सकेगी । भविष्यवाणी के अनुसार नियत समय पर इसकी पुत्र से भेट हुई । कृष्ण के द्वारा अनुमति दिये जाने पर अंत में यह कृष्ण की सभी पटरानियों और पुत्र-वधुओं के साथ दीक्षित हो गयी थी । महापुराण 71.355-358, 72.47-53, 68-72, 149-153, पद्मपुराण - 20.228, हरिवंशपुराण - 42.33-34,[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_43#39|हरिवंशपुराण - 43.39]-48, 89-96, 61. 37-40, पांडवपुराण 12.3-15