पंचकल्याणकव्रत: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class=" | <p>एक व्रत । इसमें आवश्यक (षडावश्यक) कार्य करते हुए चौबीस तीर्थंकरों के पाँच कल्याणकों की 120 तिथियों के 120 उपवास किये जाते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.111 </span></p> | ||
[[पंचकल्याणक | | <noinclude> | ||
[[ पंचकल्याणक | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:प]] | [[ पंचगिरि | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: प]] |
Revision as of 21:44, 5 July 2020
एक व्रत । इसमें आवश्यक (षडावश्यक) कार्य करते हुए चौबीस तीर्थंकरों के पाँच कल्याणकों की 120 तिथियों के 120 उपवास किये जाते हैं । हरिवंशपुराण 34.111