तेरे दर्शन से मेरा दिल खिल गया: Difference between revisions
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Revision as of 00:16, 14 February 2008
तेरे दर्शन से मेरा दिल खिल गया ।
मुक्ति के महल का सुराज्य मिल गया ।
आतम के सुज्ञान का सुभान हो गया,
भव का विनाशी तत्त्वज्ञान हो गया ।।टेर ।।
तेरी सच्ची प्रीत की यही है निशानी ।
भोगों से छूट बने आतम सुध्यानी ।
कर्मो की जीत का सुसाज मिल गया ।।मुक्ति के ।।१ ।।
तेरी परतीत हरे व्याधियाँ पुरानी ।
जामन मरण हर दे शिवरानी ।
प्रभो सुख शान्ति सुमन आज खिल गया ।।मुक्ति के ।।२ ।।
ज्ञानानन्द अतुल धन राशी ।
सिद्ध समान वरूँ अविनाशी ।
यही ``सौभाग्य शिवराज मिल गया ।।मुक्ति के ।।३ ।।