औदयिक: Difference between revisions
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<p> जीव के पाँच भावों में कर्मोंदय से उत्पन्न एक भाव । इसका जब तक उदय रहता है तब तक कर्म रहते हैं और कर्मों के कारण आत्मा को संसार में भ्रमण करना पड़ता है । महापुराण 54.150</p> | <p> जीव के पाँच भावों में कर्मोंदय से उत्पन्न एक भाव । इसका जब तक उदय रहता है तब तक कर्म रहते हैं और कर्मों के कारण आत्मा को संसार में भ्रमण करना पड़ता है । <span class="GRef"> महापुराण 54.150 </span></p> | ||
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Revision as of 21:39, 5 July 2020
जीव के पाँच भावों में कर्मोंदय से उत्पन्न एक भाव । इसका जब तक उदय रहता है तब तक कर्म रहते हैं और कर्मों के कारण आत्मा को संसार में भ्रमण करना पड़ता है । महापुराण 54.150