मत राचो धीधारी: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: मत राचो धीधारी, भव रंभथंभ सम जानके ।।टेक. ।।<br> इन्द्रजालको ख्याल मोहठग, व...) |
No edit summary |
||
Line 17: | Line 17: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:दौलतरामजी]] | [[Category:दौलतरामजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 07:29, 16 February 2008
मत राचो धीधारी, भव रंभथंभ सम जानके ।।टेक. ।।
इन्द्रजालको ख्याल मोहठग, विभ्रमपास पसारी ।
चहुँगति विपतिमयी जामें जन, भ्रमत भरत दुख भारी।।१ ।।मत. ।।
रामा मा, मा वामा, सुत पितु, सुता श्वसा, अवतारी ।
को अचंभ जहाँ आप आपके, पुत्र दशा विसतारी।।२ ।।मत. ।।
घोर नरक दुख ओर न छोर न, लेश न सुख विस्तारी ।
सुरनर प्रचुर विषयजुर जारे, को सुखिया संसारी।।३ ।।मत. ।।
मंडल ह्वै आखंडल छिन में, नृप कृमि सधन भिखारी ।
जा सुत विरह मरी ह्वै वाघिनी, ता सुत देह विदारी।।४ ।।तन. ।।
शिशु न हिताहितज्ञान तरुण उर, मदनदहन पर जारी ।
वृद्ध भये विकलांगी थाये, कौन दशा सुखकारी।।५ ।।मत. ।।
यौं असार लख छार भव्य झट, भये मोखमगचारी ।
यातैं होउ उदास `दौल' अब, भज जिनपति जगतारी।।६ ।।मत. ।।