वृतलाभ: Difference between revisions
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<p> दीक्षान्वय-क्रियाओं में दूसरी क्रिया । गुरु के चरणों में नमस्कार करते हुए विधिपूर्वक व्रतों को ग्रहण करना वृत्तलाभ-क्रिया कहलाती है । महापुराण 39.36</p> | <p> दीक्षान्वय-क्रियाओं में दूसरी क्रिया । गुरु के चरणों में नमस्कार करते हुए विधिपूर्वक व्रतों को ग्रहण करना वृत्तलाभ-क्रिया कहलाती है । <span class="GRef"> महापुराण 39.36 </span></p> | ||
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Revision as of 21:47, 5 July 2020
दीक्षान्वय-क्रियाओं में दूसरी क्रिया । गुरु के चरणों में नमस्कार करते हुए विधिपूर्वक व्रतों को ग्रहण करना वृत्तलाभ-क्रिया कहलाती है । महापुराण 39.36