शिवपुर की डगर समरससौं भरी: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:10, 16 February 2008
शिवपुर की डगर समरससौं भरी, सो विषय विरसरचि चिरविसरी । ।टेक ।।
सम्यकदरश बोध-व्रतमय भव, दुखदावानल-मेघझरी ।।
ताहि न पाय तपाय देह बहु, जनम मरन करि विपति भरी ।
काल पाय जिनधुनि सुनि मैं जब, ताहि लहूँ सोई धन्य घरी ।।१ ।।
ते जन धनि या मांहि चरत नित, तिन कीरति सुरपति उचरी ।
विषयचाह भवराह त्याग अब, `दौल' हरो रजरहसअरी ।।२ ।।