रत्नचूला: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) पूर्व-गुहा के निवासी गन्धर्व मणिचूल की देवी । इसके निवेदन पर गन्धर्व मणिचूल ने अष्टापद का रूप धारण कर सिंह के द्वारा किये गये उपसर्ग से गुहा में अंजना की रक्षा की थी । पद्मपुराण 17.242-248, 260</p> | <p id="1"> (1) पूर्व-गुहा के निवासी गन्धर्व मणिचूल की देवी । इसके निवेदन पर गन्धर्व मणिचूल ने अष्टापद का रूप धारण कर सिंह के द्वारा किये गये उपसर्ग से गुहा में अंजना की रक्षा की थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17.242-248, 260 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वेलन्धर नगर के स्वामी विद्याधर समुद्र की पुत्री । यह सत्यश्री, कमला और गुणमाला की छोटी बहिन थी ये सभी बहिनें पिता के द्वारा लक्ष्मण को दी गयी थी । पद्मपुराण 54-65, 68-69</p> | <p id="2">(2) वेलन्धर नगर के स्वामी विद्याधर समुद्र की पुत्री । यह सत्यश्री, कमला और गुणमाला की छोटी बहिन थी ये सभी बहिनें पिता के द्वारा लक्ष्मण को दी गयी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 54-65, 68-69 </span></p> | ||
<p id="6">(6) मृणालकुण्ड नगर के राजा विजयसेन की रानी । यह | <p id="6">(6) मृणालकुण्ड नगर के राजा विजयसेन की रानी । यह वज्रकम्बु की जननी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106.133-134 </span></p> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
(1) पूर्व-गुहा के निवासी गन्धर्व मणिचूल की देवी । इसके निवेदन पर गन्धर्व मणिचूल ने अष्टापद का रूप धारण कर सिंह के द्वारा किये गये उपसर्ग से गुहा में अंजना की रक्षा की थी । पद्मपुराण 17.242-248, 260
(2) वेलन्धर नगर के स्वामी विद्याधर समुद्र की पुत्री । यह सत्यश्री, कमला और गुणमाला की छोटी बहिन थी ये सभी बहिनें पिता के द्वारा लक्ष्मण को दी गयी थी । पद्मपुराण 54-65, 68-69
(6) मृणालकुण्ड नगर के राजा विजयसेन की रानी । यह वज्रकम्बु की जननी थी । पद्मपुराण 106.133-134