रत्नचूला
From जैनकोष
(1) पूर्व-गुहा के निवासी गंधर्व मणिचूल की देवी । इसके निवेदन पर गंधर्व मणिचूल ने अष्टापद का रूप धारण कर सिंह के द्वारा किये गये उपसर्ग से गुहा में अंजना की रक्षा की थी । (पद्मपुराण - 17.242-248, 260)
(2) वेलंधर नगर के स्वामी विद्याधर समुद्र की पुत्री । यह सत्यश्री, कमला और गुणमाला की छोटी बहिन थी ये सभी बहिनें पिता के द्वारा लक्ष्मण को दी गयी थी । (पद्मपुराण 54-65, 68-69)
(6) मृणालकुंड नगर के राजा विजयसेन की रानी । यह वज्रकंबु की जननी थी । (पद्मपुराण - 106.133-134)