चेतन! तुम चेतो भाई, तीन जगत के नाथ: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: चेतन! तुम चेतो भाई, तीन जगत के नाथ<br> ऐसो नरभव पायकैं, काहे विषया लवलाई।।चे...) |
No edit summary |
||
Line 8: | Line 8: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:द्यानतरायजी]] | [[Category:द्यानतरायजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 09:29, 15 February 2008
चेतन! तुम चेतो भाई, तीन जगत के नाथ
ऐसो नरभव पायकैं, काहे विषया लवलाई।।चेतन. ।।१ ।।
नाहीं तुमरी लाइकी, जोवन धन देखत जाई ।
कीजे शुभ तप त्यागकै, `द्यानत' हूजे अकषाई ।।चेतन. ।।२ ।।