जगत में सम्यक उत्तम भाई: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: जगतमें सम्यक उत्तम भाई<br> सम्यकसहित प्रधान नरकमें, धिक शठ सुरगति पाई।।ज...) |
No edit summary |
||
Line 12: | Line 12: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:द्यानतरायजी]] | [[Category:द्यानतरायजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 09:33, 15 February 2008
जगतमें सम्यक उत्तम भाई
सम्यकसहित प्रधान नरकमें, धिक शठ सुरगति पाई।।जगत. ।।
श्रावक-व्रत मुनिव्रत जे पालैं, जिन आतम लवलाई ।
तिनतैं अधिक असंजमचारी, ममता बुधि अधिकाई ।।जगत. ।।१ ।।
पंच-परावर्तन तैं कीनें, बहुत बार दुखदाई ।
लख चौरासी स्वांग धरि नाच्यौ, ज्ञानकला नहिं आई ।।जगत. ।।२ ।।
सम्यक बिन तिहुँ जग दुखदाई, जहँ भावै तहँ जाई ।
`द्यानत' सम्यक आतम अनुभव, सद्गुरु सीख बताई ।।जगत. ।।३ ।।