योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 67: Difference between revisions
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द्रव्य के साथ गुण-पर्यायों का अविनाभावी संबंध - | <p class="Utthanika">द्रव्य के साथ गुण-पर्यायों का अविनाभावी संबंध -</p> | ||
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किंचित् संभवति द्रव्यं न विना गुण-पर्ययै: ।<br> | किंचित् संभवति द्रव्यं न विना गुण-पर्ययै: ।<br> | ||
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<p><b> अन्वय </b>:- किंचित् द्रव्यं गुण-पर्ययै: विना न संभवति । गुणा: च पर्याया: द्रव्यं विना न संभवन्ति । </p> | <p class="GathaAnvaya"><b> अन्वय </b>:- किंचित् द्रव्यं गुण-पर्ययै: विना न संभवति । गुणा: च पर्याया: द्रव्यं विना न संभवन्ति । </p> | ||
<p><b> सरलार्थ </b>:- कोई भी द्रव्य, गुण तथा पर्यायों के बिना नहीं हो सकता और गुण अथवा पर्यायें द्रव्य के बिना नहीं हो सकते । </p> | <p class="GathaArth"><b> सरलार्थ </b>:- कोई भी द्रव्य, गुण तथा पर्यायों के बिना नहीं हो सकता और गुण अथवा पर्यायें द्रव्य के बिना नहीं हो सकते । </p> | ||
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Latest revision as of 10:13, 15 May 2009
द्रव्य के साथ गुण-पर्यायों का अविनाभावी संबंध -
किंचित् संभवति द्रव्यं न विना गुण-पर्ययै: ।
संभवन्ति विना द्रव्यं न गुणा न च पर्यया: ।।६७।।
अन्वय :- किंचित् द्रव्यं गुण-पर्ययै: विना न संभवति । गुणा: च पर्याया: द्रव्यं विना न संभवन्ति ।
सरलार्थ :- कोई भी द्रव्य, गुण तथा पर्यायों के बिना नहीं हो सकता और गुण अथवा पर्यायें द्रव्य के बिना नहीं हो सकते ।