योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 67
From जैनकोष
द्रव्य के साथ गुण-पर्यायों का अविनाभावी संबंध -
किंचित् संभवति द्रव्यं न विना गुण-पर्ययै: ।
संभवन्ति विना द्रव्यं न गुणा न च पर्यया: ।।६७।।
अन्वय :- किंचित् द्रव्यं गुण-पर्ययै: विना न संभवति । गुणा: च पर्याया: द्रव्यं विना न संभवन्ति ।
सरलार्थ :- कोई भी द्रव्य, गुण तथा पर्यायों के बिना नहीं हो सकता और गुण अथवा पर्यायें द्रव्य के बिना नहीं हो सकते ।