योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 68
From जैनकोष
धर्मादि द्रव्यों की प्रदेश व्यवस्था -
धर्माधर्मैकजीवानां प्रदेशानामसंख्यया ।
अवष्टब्धो नभोदेश: प्रदेश: परमाणुना ।।६८।।
अन्वय :- परमाणुना अवष्टब्ध: नभोदेश: प्रदेश:, धर्म-अधर्म-एक जीवानां प्रदेशानां (संख्या) असंख्यया ।
सरलार्थ :- परमाणु से आकाश का एक प्रदेश घिरा हुआ है । धर्म, अधर्म और एक जीव, इन द्रव्यों के अर्थात् इन प्रत्येक द्रव्य के असंख्यात प्रदेशों से आकाश का स्थान अवरुद्ध अर्थात् घिरा हुआ है ।