भैया! सो आतम जानो रे!: Difference between revisions
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Latest revision as of 22:50, 15 February 2008
भैया! सो आतम जानो रे!
जाकै बसतैं बसत है रे, पाँचों इन्द्री गाँव ।
जास बिना छिन एकमें रे, गाँव न नाँव न ठाँव ।।भैया. ।।१ ।।
आप चलै अरु ले चलै रे, पीछैं सौ मन भार ।
ता बिन गज हल ना सके रे, तन खींचै संसार ।।भैया. ।।२ ।।
जाको जारैं मारतैं रे, जरै मरै नहिं कोय ।
जो देखै सब लोककों रे, लोक न देखै सोय ।।भैया. ।।३ ।।
घटघटव्यापी देखिये रे, कुंथू गज सम रूप ।
जानै मानै अनुभवै रे, `द्यानत' सो चिद्रूप ।।भैया. ।।४ ।।