ज्ञानभूषण: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol class="HindiText"> | <ol class="HindiText"> | ||
<li> नन्दिसंघ ईडरगद्दी। पहले विमलकीर्ति के और पीछे भुवनकीर्ति के शिष्य हुए। | <li> नन्दिसंघ ईडरगद्दी। पहले विमलकीर्ति के और पीछे भुवनकीर्ति के शिष्य हुए। कृतियाँ–आत्म सम्बोधन काव्य तत्त्वज्ञान तरंगिनी, नेमि निर्वाण काव्य की पञ्जिका टीका, पूजाष्टक टीका, भक्तामर पूजा, श्रुतपूजा, सरस्वती पूजा, समय–तत्त्वज्ञान तरंगिनी का रचना काल वि.1560 (भट्टारक काल वि.1500-1562 (ई.1443-1505)। देखें [[ इतिहास#7.4 | इतिहास - 7.4]]। (ती./3/348)। </li> | ||
<li>सूरतगद्दी वीरचन्द के शिष्य/सुमति कीर्ति की कृतियों का शोधन तथा उनके साथ कर्म प्रकृति, टीका लिखी। समय वि.1585-1616/देखें [[ इतिहास#7.4 | इतिहास - 7.4]]। जै./2। </li> | <li>सूरतगद्दी वीरचन्द के शिष्य/सुमति कीर्ति की कृतियों का शोधन तथा उनके साथ कर्म प्रकृति, टीका लिखी। समय वि.1585-1616/देखें [[ इतिहास#7.4 | इतिहास - 7.4]]। जै./2। </li> | ||
</ol> | </ol> |
Revision as of 13:50, 10 July 2020
- नन्दिसंघ ईडरगद्दी। पहले विमलकीर्ति के और पीछे भुवनकीर्ति के शिष्य हुए। कृतियाँ–आत्म सम्बोधन काव्य तत्त्वज्ञान तरंगिनी, नेमि निर्वाण काव्य की पञ्जिका टीका, पूजाष्टक टीका, भक्तामर पूजा, श्रुतपूजा, सरस्वती पूजा, समय–तत्त्वज्ञान तरंगिनी का रचना काल वि.1560 (भट्टारक काल वि.1500-1562 (ई.1443-1505)। देखें इतिहास - 7.4। (ती./3/348)।
- सूरतगद्दी वीरचन्द के शिष्य/सुमति कीर्ति की कृतियों का शोधन तथा उनके साथ कर्म प्रकृति, टीका लिखी। समय वि.1585-1616/देखें इतिहास - 7.4। जै./2।