मंगल आरती आतमराम । तनमंदिर मन उत्तम ठान: Difference between revisions
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मंगल आरती आतमराम । तनमंदिर मन उत्तम ठान
समरस जलचंदन आनंद । तंदुल तत्त्वस्वरूप अमंद।।१ ।।
समयसारफूलन की माल । अनुभव-सुख नेवज भरि थाल ।।२ ।।
दीपकज्ञान ध्यानकी धूप । निरमलभाव महाफलरूप ।।३ ।।
सुगुण भविकजन इकरँगलीन । निहचै नवधा भक्ति प्रवीन ।।४ ।।
धुनि उतसाह सु अनहद गान । परम समाधिनिरत परधान ।।५ ।।
बाहिज आतमभाव बहावै । अंतर ह्वै परमातम ध्यावै ।।६ ।।
साहब सेवकभेद मिटाय । `द्यानत' एकमेक हो जाय ।।७ ।।