पंचकल्याणक: Difference between revisions
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<p> तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप, दीक्षा/निष्क्रमण और निर्वाणकल्याण । इन कल्याणकों के समय सोलह स्वर्गों के देव और इंद्र स्वयमेव आते हैं । तीर्थंकर प्रकृति के प्रभाव से स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतार लेने के छ: माह पूर्व से कुबेर साढ़े तीन करोड़ रत्न, की वर्षा करता है । <span class="GRef"> महापुराण 48.18-20, 205-222, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.131, 37.1-55 100-129,56.112-118, 65.1-17 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप, दीक्षा/निष्क्रमण और निर्वाणकल्याण । इन कल्याणकों के समय सोलह स्वर्गों के देव और इंद्र स्वयमेव आते हैं । तीर्थंकर प्रकृति के प्रभाव से स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतार लेने के छ: माह पूर्व से कुबेर साढ़े तीन करोड़ रत्न, की वर्षा करता है । <span class="GRef"> महापुराण 48.18-20, 205-222, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.131, 37.1-55 100-129,56.112-118, 65.1-17 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप, दीक्षा/निष्क्रमण और निर्वाणकल्याण । इन कल्याणकों के समय सोलह स्वर्गों के देव और इंद्र स्वयमेव आते हैं । तीर्थंकर प्रकृति के प्रभाव से स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतार लेने के छ: माह पूर्व से कुबेर साढ़े तीन करोड़ रत्न, की वर्षा करता है । महापुराण 48.18-20, 205-222, हरिवंशपुराण 8.131, 37.1-55 100-129,56.112-118, 65.1-17