महोरग: Difference between revisions
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<li><span class="HindiText"><strong name="1" id="1">महोरग</strong></span><br> धवला 13/5,5,140/391/11 <span class="SanskritText">सर्पाकारेण विकरणप्रियाः महोरगाः नाम।</span> =<span class="HindiText"> सर्पाकार रूप से विक्रिया करना इन्हें प्रिय है, इसलिए महोरग कहलाते हैं।</span></li> | <li><span class="HindiText"><strong name="1" id="1">महोरग</strong></span><br><span class="GRef"> धवला 13/5,5,140/391/11 </span><span class="SanskritText">सर्पाकारेण विकरणप्रियाः महोरगाः नाम।</span> =<span class="HindiText"> सर्पाकार रूप से विक्रिया करना इन्हें प्रिय है, इसलिए महोरग कहलाते हैं।</span></li> | ||
<li><span class="HindiText"><strong name="2" id="2"> महोरग देवों के भेद</strong> </span><br /> | <li><span class="HindiText"><strong name="2" id="2"> महोरग देवों के भेद</strong> </span><br /> | ||
<span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति/6/38 </span><span class="PrakritGatha">भुजगा भुंजगसाली महतणु अतिकायखंधसाली य। महअसणिजमहसर गंभीरं पियदंसणा महोरगया।38।</span> = <span class="HindiText">भुजग, भुंजगशाली, महातनु, अतिकाय, स्कंधशाली, मनोहर, अशनिजव, महेश्वर, गंभीर और प्रियदर्शन ये दश महोरग जाति के देवों के भेद हैं। (<span class="GRef"> त्रिलोकसार/261 </span>)।<br /> | |||
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Revision as of 13:01, 14 October 2020
- महोरग
धवला 13/5,5,140/391/11 सर्पाकारेण विकरणप्रियाः महोरगाः नाम। = सर्पाकार रूप से विक्रिया करना इन्हें प्रिय है, इसलिए महोरग कहलाते हैं। - महोरग देवों के भेद
तिलोयपण्णत्ति/6/38 भुजगा भुंजगसाली महतणु अतिकायखंधसाली य। महअसणिजमहसर गंभीरं पियदंसणा महोरगया।38। = भुजग, भुंजगशाली, महातनु, अतिकाय, स्कंधशाली, मनोहर, अशनिजव, महेश्वर, गंभीर और प्रियदर्शन ये दश महोरग जाति के देवों के भेद हैं। ( त्रिलोकसार/261 )।
- इसके वर्ण, वैभव, अवस्थान आदि–देखें व्यंतर - 4.1