वनवेदिका: Difference between revisions
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Revision as of 16:33, 19 August 2020
समवसरण के चारों वनों के अंत में चारों और ऊंचे-ऊंचे गोपुरों से युक्त, रत्नजड़ित, स्वर्णमय वनवेदी । इसके चांदी से निर्मित चारों गोपुर अष्ट मंगलद्रव्यों से अलंकृत रहते हैं । महापुराण 22.205, 210