ज्योतिष्पटल: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> यह पृथिवी तल से सात सौ नब्बे योजन की ऊँचाई से नौ सौ योजन की ऊंचाई तक एक सौ दस योजन में स्थित है । यह घनोदधिवातवलय पर्यंत सब ओर फैला है । सबसे नीचे तारा-पटल है । उससे दस योजन ऊपर सूर्य पटल, उससे अस्सी योजन ऊपर चंद्र पटल, उससे चार योजन ऊपर नक्षत्र-पटल, उससे चार-योजन ऊपर बुध पटल और उससे तीन-तीन योजन ऊपर चलकर क्रम से शुक, गुरु, मंगल और शनि ग्रहों के पटल है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.2-26 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> यह पृथिवी तल से सात सौ नब्बे योजन की ऊँचाई से नौ सौ योजन की ऊंचाई तक एक सौ दस योजन में स्थित है । यह घनोदधिवातवलय पर्यंत सब ओर फैला है । सबसे नीचे तारा-पटल है । उससे दस योजन ऊपर सूर्य पटल, उससे अस्सी योजन ऊपर चंद्र पटल, उससे चार योजन ऊपर नक्षत्र-पटल, उससे चार-योजन ऊपर बुध पटल और उससे तीन-तीन योजन ऊपर चलकर क्रम से शुक, गुरु, मंगल और शनि ग्रहों के पटल है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_6#2|हरिवंशपुराण - 6.2-26]] </span></p> | ||
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Revision as of 15:10, 27 November 2023
यह पृथिवी तल से सात सौ नब्बे योजन की ऊँचाई से नौ सौ योजन की ऊंचाई तक एक सौ दस योजन में स्थित है । यह घनोदधिवातवलय पर्यंत सब ओर फैला है । सबसे नीचे तारा-पटल है । उससे दस योजन ऊपर सूर्य पटल, उससे अस्सी योजन ऊपर चंद्र पटल, उससे चार योजन ऊपर नक्षत्र-पटल, उससे चार-योजन ऊपर बुध पटल और उससे तीन-तीन योजन ऊपर चलकर क्रम से शुक, गुरु, मंगल और शनि ग्रहों के पटल है । हरिवंशपुराण - 6.2-26