ज्योतिष्क
From जैनकोष
चतुर्विध देवों में एक प्रकार के देव । ये उज्ज्वल किरणों से युक्त हैं और पांच प्रकार के हैं― ग्रह, नक्षत्र चंद्र सूर्य और तारे । तीर्थंकरों का जन्म होते ही इन देवों के भवनों में अकस्मात् सिंह गर्जना होने लगती है । इनका निवास मध्यलोक के ऊपर होता है । ये मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा देते हुए निरंतर गतिशील रहते हैं । इनके विमानों में जिनालय और जिनालयों में हेम-रत्नमयी जिन प्रतिमाएँ रहती है । इन देवों की उत्कृष्ट स्थिति कुछ अधिक एक पल्य तथा जघन्य स्थिति पल्य के आठवें भाग प्रमाण होती है । महापुराण 70.143, 72. 47, पद्मपुराण - 3.81-82,पद्मपुराण -3. 159-163, 105.165, हरिवंशपुराण - 3.140 38.19, वीरवर्द्धमान चरित्र 11.101-102