अग्रस्थिति: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> धवला 14/5,6,320/367/4 </span><span class="PrakritText">जहण्णणिव्वत्तीए चरिमणिसेओ अग्गं णाम। तस्स ट्ठिदी जहण्णिया अग्गट्ठिदि त्ति घेत्तव्वा। जहण्णणिव्वत्ति त्ति भणिदं होदि।</span> = <span class="HindiText">जघन्य निर्वृत्ति के अंतिम निषेक की अग्रसंज्ञा है। उसकी स्थिति जघन्य <b>अग्रस्थिति</b> है।...जघन्य निवृत्ति (जघन्य आयुबंध) यह उक्त कथन का तात्पर्य है।</span></p> | <p><span class="GRef"> (धवला 14/5,6,320/367/4) </span><span class="PrakritText">जहण्णणिव्वत्तीए चरिमणिसेओ अग्गं णाम। तस्स ट्ठिदी जहण्णिया अग्गट्ठिदि त्ति घेत्तव्वा। जहण्णणिव्वत्ति त्ति भणिदं होदि।</span> = <span class="HindiText">जघन्य निर्वृत्ति के अंतिम निषेक की अग्रसंज्ञा है। उसकी स्थिति जघन्य <b>अग्रस्थिति</b> है।...जघन्य निवृत्ति (जघन्य आयुबंध) यह उक्त कथन का तात्पर्य है।</span></p> | ||
Latest revision as of 12:37, 10 December 2022
(धवला 14/5,6,320/367/4) जहण्णणिव्वत्तीए चरिमणिसेओ अग्गं णाम। तस्स ट्ठिदी जहण्णिया अग्गट्ठिदि त्ति घेत्तव्वा। जहण्णणिव्वत्ति त्ति भणिदं होदि। = जघन्य निर्वृत्ति के अंतिम निषेक की अग्रसंज्ञा है। उसकी स्थिति जघन्य अग्रस्थिति है।...जघन्य निवृत्ति (जघन्य आयुबंध) यह उक्त कथन का तात्पर्य है।
- कर्मों की स्थिति के सम्बन्ध में विशेष जाननेे के लिये देखें स्थिति ।