अप्रशस्तोपशम: Difference between revisions
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<p>देखें [[ उपशम#1 | उपशम - 1]]।</p> | <span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका 650/1099/16</span> <p class="SanskritText"> अनंतानुबंधिचतुष्कस्य दर्शनमोहत्रयस्य च उदयाभावलक्षणाप्रशस्तोपशमेन प्रसन्नमलपंकतोयसमानं यत्पदार्थश्रद्धानमुत्पद्यते तदिदमुपशमसम्यक्त्वं नाम।</p> | ||
<p class="HindiText">= अनंतानुबंधीकी चौकड़ी और दर्शनमोहका त्रिक इन सात प्रकृति का अभाव है लक्षण जाका ऐसा अप्रशस्त उपशम होनेसे जैसे कतकफल आदि से मल कर्दम नीचे बैठने करि जल प्रसन्न हो है तैसे जो तत्त्वार्थ श्रद्धान उपजै सो यहु उपशम नाम सम्यक्त्व है।</p> | |||
<p>देखें [[ उपशम#1 | उपशम - 1]]।</p> | |||
Revision as of 12:27, 25 December 2022
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका 650/1099/16
अनंतानुबंधिचतुष्कस्य दर्शनमोहत्रयस्य च उदयाभावलक्षणाप्रशस्तोपशमेन प्रसन्नमलपंकतोयसमानं यत्पदार्थश्रद्धानमुत्पद्यते तदिदमुपशमसम्यक्त्वं नाम।
= अनंतानुबंधीकी चौकड़ी और दर्शनमोहका त्रिक इन सात प्रकृति का अभाव है लक्षण जाका ऐसा अप्रशस्त उपशम होनेसे जैसे कतकफल आदि से मल कर्दम नीचे बैठने करि जल प्रसन्न हो है तैसे जो तत्त्वार्थ श्रद्धान उपजै सो यहु उपशम नाम सम्यक्त्व है।
देखें उपशम - 1।