आनयन: Difference between revisions
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<span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 7/31/369/9</span> <p class="SanskritText">आत्माना संकल्पिते देशे स्थितस्य प्रयोजनवशाद्यत्किंचिदानयेत्याज्ञापनमानयनम्।</p> | <span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 7/31/369/9</span> <p class="SanskritText">आत्माना संकल्पिते देशे स्थितस्य प्रयोजनवशाद्यत्किंचिदानयेत्याज्ञापनमानयनम्।</p> | ||
<p class="HindiText">= अपने द्वारा संकल्पित देश में ठहरे हुए पुरुष को प्रयोजन वश किसी भी वस्तु के लाने की आज्ञा करना आनयन है।</p> | <p class="HindiText">= अपने द्वारा संकल्पित देश में ठहरे हुए पुरुष को प्रयोजन वश किसी भी वस्तु के लाने की आज्ञा करना आनयन है।</p> | ||
<p> | <p><span class="GRef">( राजवार्तिक अध्याय 7/31/1/556)</span></p> | ||
Revision as of 22:16, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 7/31/369/9
आत्माना संकल्पिते देशे स्थितस्य प्रयोजनवशाद्यत्किंचिदानयेत्याज्ञापनमानयनम्।
= अपने द्वारा संकल्पित देश में ठहरे हुए पुरुष को प्रयोजन वश किसी भी वस्तु के लाने की आज्ञा करना आनयन है।
( राजवार्तिक अध्याय 7/31/1/556)
पुराणकोष से
देशव्रत के पाँच अतिचारों में एक अतिचार― मर्यादा के बाहर से वस्तु को मँगवाना । हरिवंशपुराण 58.178