आनयन
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 7/31/369/9
आत्माना संकल्पिते देशे स्थितस्य प्रयोजनवशाद्यत्किंचिदानयेत्याज्ञापनमानयनम्।
= अपने द्वारा संकल्पित देश में ठहरे हुए पुरुष को प्रयोजन वश किसी भी वस्तु के लाने की आज्ञा करना आनयन है।
( राजवार्तिक अध्याय 7/31/1/556)
पुराणकोष से
देशव्रत के पाँच अतिचारों में एक अतिचार― मर्यादा के बाहर से वस्तु को मँगवाना । हरिवंशपुराण - 58.178