उत्सर्पिणी: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> काल का एक भेद । यह दश कोड़ा-कोड़ी समय प्रमाण होता है । इसमें रूप, बल, आयु, शरीर और सुख का उत्कर्षण होता है । इसके छ: भेद होते हैं― दु:षमा-दु:षमा, दु:षमा, सुषमा-दु:षमा, दु:षमा-सुषमा, सुषमा और सुषमा-सुषमा । <span class="GRef"> महापुराण 3.14-21 </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 77-78, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7. 56-59, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.65-86 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> काल का एक भेद । यह दश कोड़ा-कोड़ी समय प्रमाण होता है । इसमें रूप, बल, आयु, शरीर और सुख का उत्कर्षण होता है । इसके छ: भेद होते हैं― दु:षमा-दु:षमा, दु:षमा, सुषमा-दु:षमा, दु:षमा-सुषमा, सुषमा और सुषमा-सुषमा । <span class="GRef"> महापुराण 3.14-21 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#77|पद्मपुराण - 20.77-78]], </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7. 56-59, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.65-86 </span></p> | ||
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Revision as of 22:16, 17 November 2023
काल का एक भेद । यह दश कोड़ा-कोड़ी समय प्रमाण होता है । इसमें रूप, बल, आयु, शरीर और सुख का उत्कर्षण होता है । इसके छ: भेद होते हैं― दु:षमा-दु:षमा, दु:षमा, सुषमा-दु:षमा, दु:षमा-सुषमा, सुषमा और सुषमा-सुषमा । महापुराण 3.14-21 पद्मपुराण - 20.77-78, हरिवंशपुराण 7. 56-59, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.65-86