श्रीधर्म: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र संबंधी विजयार्धगिरि का एक विद्याधर । इसकी श्रीदत्ता रानी थी । विभीषण नारायण का जीव नरक से निकलकर इसका श्रीदास नाम का पुत्र हुआ था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.115-116 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र संबंधी विजयार्धगिरि का एक विद्याधर । इसकी श्रीदत्ता रानी थी । विभीषण नारायण का जीव नरक से निकलकर इसका श्रीदास नाम का पुत्र हुआ था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.115-116 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक चारण मुनि । कृष्ण की पटरानी सत्यभामा के पूर्वभव के जीव हरिवाहन ने इन्हीं से दीक्षा ली थी तथा अंत में सल्लेखना पूर्वक मरकर ऐशान स्वर्ग में उत्पन्न हुआ था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.10, 20-21 </span></p> | <p id="2">(2) एक चारण मुनि । कृष्ण की पटरानी सत्यभामा के पूर्वभव के जीव हरिवाहन ने इन्हीं से दीक्षा ली थी तथा अंत में सल्लेखना पूर्वक मरकर ऐशान स्वर्ग में उत्पन्न हुआ था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.10, 20-21 </span></p> | ||
<p id="3">(3) तीर्थंकर सुव्रत (मुनिसुव्रत) के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 22-24 </span></p> | <p id="3">(3) तीर्थंकर सुव्रत (मुनिसुव्रत) के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#22|पद्मपुराण - 20.22-24]] </span></p> | ||
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Revision as of 22:35, 17 November 2023
(1) जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र संबंधी विजयार्धगिरि का एक विद्याधर । इसकी श्रीदत्ता रानी थी । विभीषण नारायण का जीव नरक से निकलकर इसका श्रीदास नाम का पुत्र हुआ था । हरिवंशपुराण 27.115-116
(2) एक चारण मुनि । कृष्ण की पटरानी सत्यभामा के पूर्वभव के जीव हरिवाहन ने इन्हीं से दीक्षा ली थी तथा अंत में सल्लेखना पूर्वक मरकर ऐशान स्वर्ग में उत्पन्न हुआ था । हरिवंशपुराण 60.10, 20-21
(3) तीर्थंकर सुव्रत (मुनिसुव्रत) के पूर्वभव का जीव । पद्मपुराण - 20.22-24