सिंहवाहन: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत पर अरुण नगर के राजा सुकंठ और रानी कनकोदरी का पुत्र । इसने तीर्थंकर विमलनाथ के तीर्थ में सद्बोध प्राप्त कर तथा राज्य अपने पुत्र मेघवाहन को देकर लक्ष्मीतिलक मुनि से दीक्षा ले ली थी । पश्चात् कठिन तपश्चरण किया और समाधिमरण पूर्वक देह त्यागकर यह लांतप स्वर्ग में उत्कृष्ट देव हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17.154-162 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत पर अरुण नगर के राजा सुकंठ और रानी कनकोदरी का पुत्र । इसने तीर्थंकर विमलनाथ के तीर्थ में सद्बोध प्राप्त कर तथा राज्य अपने पुत्र मेघवाहन को देकर लक्ष्मीतिलक मुनि से दीक्षा ले ली थी । पश्चात् कठिन तपश्चरण किया और समाधिमरण पूर्वक देह त्यागकर यह लांतप स्वर्ग में उत्कृष्ट देव हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_17#154|पद्मपुराण - 17.154-162]] </span></p> | ||
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Revision as of 22:36, 17 November 2023
भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत पर अरुण नगर के राजा सुकंठ और रानी कनकोदरी का पुत्र । इसने तीर्थंकर विमलनाथ के तीर्थ में सद्बोध प्राप्त कर तथा राज्य अपने पुत्र मेघवाहन को देकर लक्ष्मीतिलक मुनि से दीक्षा ले ली थी । पश्चात् कठिन तपश्चरण किया और समाधिमरण पूर्वक देह त्यागकर यह लांतप स्वर्ग में उत्कृष्ट देव हुआ । पद्मपुराण - 17.154-162