चित्रा: Difference between revisions
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<p id="2">(2) रुचकगिरि के दक्षिणदिशावर्ती सुप्रतिष्टकूट की निवासिनी देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.710 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) रुचकगिरि के दक्षिणदिशावर्ती सुप्रतिष्टकूट की निवासिनी देवी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#710|हरिवंशपुराण - 5.710]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) रत्नप्रभा पृथिवी के खरभाग का प्रथम पटल । यह एक हजार योजन मोटा है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.52-55 </span>देखें [[ खरभाग ]]</p> | <p id="3" class="HindiText">(3) रत्नप्रभा पृथिवी के खरभाग का प्रथम पटल । यह एक हजार योजन मोटा है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#52|हरिवंशपुराण - 4.52-55]] </span>देखें [[ खरभाग ]]</p> | ||
<p id="4">(4) एक नक्षत्र, तीर्थंकर पद्मप्रभ तथा अरिष्टनेमि इसी नक्षत्र में जन्मे थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#42|पद्मपुराण - 20.42]], 58, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 38.9 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) एक नक्षत्र, तीर्थंकर पद्मप्रभ तथा अरिष्टनेमि इसी नक्षत्र में जन्मे थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#42|पद्मपुराण - 20.42]], 58, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_38#9|हरिवंशपुराण - 38.9]] </span></p> | ||
<p id="5">(5) तीर्थंकर नेमि की इस नाम की शिविका । <span class="GRef"> महापुराण 71. 160 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) तीर्थंकर नेमि की इस नाम की शिविका । <span class="GRef"> महापुराण 71. 160 </span></p> | ||
<p id="6">(6) मध्यलोक की एक पृथ्वी । यह एक हजार योजन मोटी है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.12 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) मध्यलोक की एक पृथ्वी । यह एक हजार योजन मोटी है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#12|हरिवंशपुराण - 4.12]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- एक नक्षत्र–देखें नक्षत्र ,
- रुचक पर्वत के विमल कूट पर बसने वाली एक विद्युत्कुमारी देवी–देखें लोक - 5.13,
- रुचक पर्वत निवासिनी एक दिक्कुमारी–देखें लोक - 5.13,
- अनेक प्रकार के वर्णों से युक्त धातुएँ, वप्रक (मरकत), बाकमणि (पुष्पराग), मोचमणि (कदलीवर्णाकार नीलमणि) और मसारगल्ल (विद्रुमवर्ण मसृणपाषाण मणि) धातुएँ हैं, इसलिए इस पृथिवी का ‘चित्रा’ इस नाम से वर्णन किया गया है। (अर्थात् मध्य लोक की 1000 योजन मोटी पृथिवी चित्रा कहलाती है।)–देखें रत्नप्रभा ।
पुराणकोष से
(1) रुचकगिरि के पूर्वदिशावर्ती विमलकूट की निवासिनी देवी । हरिवंशपुराण - 5.719
(2) रुचकगिरि के दक्षिणदिशावर्ती सुप्रतिष्टकूट की निवासिनी देवी । हरिवंशपुराण - 5.710
(3) रत्नप्रभा पृथिवी के खरभाग का प्रथम पटल । यह एक हजार योजन मोटा है । हरिवंशपुराण - 4.52-55 देखें खरभाग
(4) एक नक्षत्र, तीर्थंकर पद्मप्रभ तथा अरिष्टनेमि इसी नक्षत्र में जन्मे थे । पद्मपुराण - 20.42, 58, हरिवंशपुराण - 38.9
(5) तीर्थंकर नेमि की इस नाम की शिविका । महापुराण 71. 160
(6) मध्यलोक की एक पृथ्वी । यह एक हजार योजन मोटी है । हरिवंशपुराण - 4.12