रत्नजटी: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> विद्याधर अर्कजटी का पुत्र । इसने सीता को हरकर आकाशमार्ग से जाते हुए रावण को देखा और सीता को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध करना चाहा था । रावण ने इसे अजेय जानकर इसकी विद्या का हरण करके इसे निर्बल बनाया । यह विद्या के न रहने से समुद्र के बीच कम्बु नामक द्वीप में आ गिरा था । सुग्रीव के साथ राम के निकट आकर इसने अपनी विद्या का और सीताहरण का समाचार राम को दिया था । सीता की जानकारी पाकर राम ने इसे देवोपगीत नगर का स्वामित्व देते हुए इसका सत्कार किया था । पद्मपुराण 45.58-69, 48.89-91, 96-97, 88.42 </p> | <p> विद्याधर अर्कजटी का पुत्र । इसने सीता को हरकर आकाशमार्ग से जाते हुए रावण को देखा और सीता को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध करना चाहा था । रावण ने इसे अजेय जानकर इसकी विद्या का हरण करके इसे निर्बल बनाया । यह विद्या के न रहने से समुद्र के बीच कम्बु नामक द्वीप में आ गिरा था । सुग्रीव के साथ राम के निकट आकर इसने अपनी विद्या का और सीताहरण का समाचार राम को दिया था । सीता की जानकारी पाकर राम ने इसे देवोपगीत नगर का स्वामित्व देते हुए इसका सत्कार किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 45.58-69, 48.89-91, 96-97, 88.42 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ रत्नचूला | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ रत्नतेज | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: र]] | [[Category: र]] |
Revision as of 21:46, 5 July 2020
विद्याधर अर्कजटी का पुत्र । इसने सीता को हरकर आकाशमार्ग से जाते हुए रावण को देखा और सीता को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध करना चाहा था । रावण ने इसे अजेय जानकर इसकी विद्या का हरण करके इसे निर्बल बनाया । यह विद्या के न रहने से समुद्र के बीच कम्बु नामक द्वीप में आ गिरा था । सुग्रीव के साथ राम के निकट आकर इसने अपनी विद्या का और सीताहरण का समाचार राम को दिया था । सीता की जानकारी पाकर राम ने इसे देवोपगीत नगर का स्वामित्व देते हुए इसका सत्कार किया था । पद्मपुराण 45.58-69, 48.89-91, 96-97, 88.42