संवाह: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="SanskritText"> | <span class="SanskritText"> धवला 13/5,5,63/336/2 यत्र शिरसा धान्यमारोप्यते स संवाह:। </span>=<span class="HindiText">जहाँ पर शिर से लेकर धान्य रखा जाता है उसका नाम संवाह है।</span> | ||
<p> <span class="SanskritText"> | <p> <span class="SanskritText"> महापुराण/16/173 संवाहस्तु शिरोव्यूढधान्यसंजय इष्यते।173। </span>=<span class="HindiText">जहाँ मस्तक पर्यन्त ऊँचे-ऊँचे धान्य के ढेर लगे हों वह संवाहन कहलाता है।</span></p> | ||
<p><span class="SanskritText"> | <p><span class="SanskritText"> त्रिलोकसार/674-676 संवाह।674।...सिन्धुवेलावलयित:।676।</span> =<span class="HindiText">समुद्र की वेला से वेष्टित स्थान संवाह कहलाता है।</span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 19:17, 17 July 2020
== सिद्धांतकोष से == धवला 13/5,5,63/336/2 यत्र शिरसा धान्यमारोप्यते स संवाह:। =जहाँ पर शिर से लेकर धान्य रखा जाता है उसका नाम संवाह है।
महापुराण/16/173 संवाहस्तु शिरोव्यूढधान्यसंजय इष्यते।173। =जहाँ मस्तक पर्यन्त ऊँचे-ऊँचे धान्य के ढेर लगे हों वह संवाहन कहलाता है।
त्रिलोकसार/674-676 संवाह।674।...सिन्धुवेलावलयित:।676। =समुद्र की वेला से वेष्टित स्थान संवाह कहलाता है।
पुराणकोष से
नगरों का एक प्रकार । जहाँ मस्तक तक ऊंचे-ऊंचे धान्य के ढेर लगे रहते हैं उसे सवाह नगर कहा जाता है । महापुराण 16.173