चेतनजी! तुम जोरत हो धन, सो धन चलत नहीं तुम लार: Difference between revisions
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चेतनजी! तुम जोरत हो धन, सो धन चलत नहीं तुम लार
जाको आप जान पोषत हो, सो तन जलकै ह्वै है छार।।चेतन. ।।१ ।।
विषय भोगके सुख मानत हो, ताको फल है दु:ख अपार।।चेतन. ।।२।।
यह संसार वृक्ष सेमरको, मान कह्यो हौं कहत पुकार।।चेतन. ।।३ ।।