देखे सुखी सम्यकवान: Difference between revisions
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देखे सुखी सम्यकवान
सुख दुखको दुखरूप विचारैं, धारैं अनुभवज्ञान।।देखे. ।।
नरक सातमें के दुख भोगैं, इन्द्र लखैं तिन-मान ।
भीख मांगकै उदर भरैं, न करैं चक्रीको ध्यान ।।देखे. ।।१ ।।
तीर्थंकर पदकों नहिं चावैं, जदपि उदय अप्रमान ।
कुष्ट आदि बहु ब्याधि दहत न, चहत मकरध्वजथान ।।देखे. ।।२ ।।
आदि व्याधि निरबाध अनाकुल, चेतनजोति पुमान ।
`द्यानत' मगन सदा तिहिमाहीं, नाहीं खेद निदान ।।देखे. ।।३ ।।