लाग रह्यो मन चेतनसों जी: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: लाग रह्यो मन चेतनसों जी<br> सेवक सेव सेव सेवक मिल, सेवा कौन करै पनसों जी।।१ ...) |
No edit summary |
||
Line 8: | Line 8: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:द्यानतरायजी]] | [[Category:द्यानतरायजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 22:53, 15 February 2008
लाग रह्यो मन चेतनसों जी
सेवक सेव सेव सेवक मिल, सेवा कौन करै पनसों जी।।१ ।।
ज्ञान सुधा पी वम्यो विषय विष, क्यों कर लागि सकै तनसौं जी ।।२ ।।
`द्यानत' आप-आप निरविकलप, कारज कवन भवन निवसों जी।।३ ।।