अरहंत सुमर मन बावरे: Difference between revisions
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अरहंत सुमर मन बावरे
ख्याति लाभ पूजा तजि भाई, अन्तर प्रभु लौ लाव रे।।अरहंत. ।।
नरभव पाय अकारथ खोवै, विषय भोग जु बढ़ाव रे ।
प्राण गये पछितैहै मनवा, छिन छिन छीजै आव रे ।।अरहंत. ।।१ ।।
जुवती तन धन सुत मित परिजन, गज तुरंग रथ चाव रे ।
यह संसार सुपनकी माया, आँख मीचि दिखराव रे ।।अरहंत. ।।२ ।।
ध्याव ध्याव रे अब है दावरे, नाहीं मंगल गाव रे ।
`द्यानत' बहुत कहाँ लौं कहिये, फेर न कछू उपाव रे ।।अरहंत. ।।३ ।।