चौबीसौं को वंदना हमारी: Difference between revisions
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चौबीसौं को वंदना हमारी
भवदुखनाशक, सुखपरकाशक, विघनविनाशक मंगलकारी।।१ ।।
तीनलोक तिहुँकालनिमाहीं, इन सम और नहीं उपगारी।।२ ।।
पंच कल्यानक महिमा लखकै, अद्भुत हरष लहैं नरनारी।।३ ।।
`द्यानत' इनकी कौन चलावै, बिंब देख भये सम्यकधारी ।।४ ।।