भाई! ज्ञानका राह दुहेला रे 1: Difference between revisions
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भाई! ज्ञानका राह दुहेला रे
मैं ही भगत बड़ा तपधारी, ममता गृह झकझेला रे ।।भाई. ।।
मैं कविता सब कवि सिरऊपर, बानी पुदगलमेला रे ।
मैं सब दानी मांगै सिर द्यौ, मिथ्याभाव सकेला रे ।।भाई. ।।१ ।।
मृतक देह बस फिर तन आऊं, मार जिवाऊं छेला रे ।
आप जलाऊं फेर दिखाऊं, क्रोध लोभतैं खेला रे ।।भाई. ।।२ ।।
वचन सिद्ध भाषै सोई ह्वै, प्रभुता वेलन वेला रे ।
`द्यानत' चंचल चित पारा थिर, करै सुगुरुका चेला रे ।।भाई. ।।३ ।।