मोहि कब ऐसा दिन आय है: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: मोहि कब ऐसा दिन आय है<br> सकल विभाव अभाव होंहिंगे, विकलपता मिट जाय है ।।मोह...) |
No edit summary |
||
Line 12: | Line 12: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:द्यानतरायजी]] | [[Category:द्यानतरायजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 01:05, 16 February 2008
मोहि कब ऐसा दिन आय है
सकल विभाव अभाव होंहिंगे, विकलपता मिट जाय है ।।मोहि. ।।
यह परमातम यह मम आतम, भेद-बुद्धि न रहाय है ।
ओरनिकी का बात चलावै, भेद-विज्ञान पलाय है ।।मोहि. ।।१ ।।
जानैं आप आपमें आपा, सो व्यवहार विलाय है ।
नय-परमान-निक्षेपन-माहीं, एक न औसर पाय है ।।मोहि. ।।२ ।।
दरसन ज्ञान चरनके विकलप, कहो कहाँ ठहराय है ।
`द्यानत' चेतन चेतन ह्वै है, पुदगल पुदगल थाय है ।।मोहि. ।।३ ।।