संवित्: Difference between revisions
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<span class="SanskritText"> स्याद्वादमंजरी/16/221/28 सम्यग्वैपरीत्येन विद्यतेऽवगम्यते वस्तुस्वरूपमनयेति संवित् ।</span> = <span class="HindiText">जिससे यथार्थ रीति से वस्तु का ज्ञान हो उस ज्ञान को संवित् कहते हैं।</span> | <span class="SanskritText"><span class="GRef"> स्याद्वादमंजरी/16/221/28 </span>सम्यग्वैपरीत्येन विद्यतेऽवगम्यते वस्तुस्वरूपमनयेति संवित् ।</span> = <span class="HindiText">जिससे यथार्थ रीति से वस्तु का ज्ञान हो उस ज्ञान को संवित् कहते हैं।</span> | ||
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Revision as of 13:03, 14 October 2020
स्याद्वादमंजरी/16/221/28 सम्यग्वैपरीत्येन विद्यतेऽवगम्यते वस्तुस्वरूपमनयेति संवित् । = जिससे यथार्थ रीति से वस्तु का ज्ञान हो उस ज्ञान को संवित् कहते हैं।