संवित्
From जैनकोष
स्याद्वादमंजरी/16/221/28 सम्यग्वैपरीत्येन विद्यतेऽवगम्यते वस्तुस्वरूपमनयेति संवित् । = जिससे यथार्थ रीति से वस्तु का ज्ञान हो उस ज्ञान को संवित् कहते हैं।
स्याद्वादमंजरी/16/221/28 सम्यग्वैपरीत्येन विद्यतेऽवगम्यते वस्तुस्वरूपमनयेति संवित् । = जिससे यथार्थ रीति से वस्तु का ज्ञान हो उस ज्ञान को संवित् कहते हैं।