स्थविर कल्प: Difference between revisions
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<span class="SanskritText"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/547/714/6 पंचमकालस्थविरकल्पाल्पसंहननसंयमिषु त्रयोदशधोक्तं।</span> = <span class="HindiText">पंचमकाल में स्थविरकल्पी हीन संहनन के धारी साधु को तेरह प्रकार का चारित्र कहा है।</span> | <span class="SanskritText"><span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/547/714/6 </span>पंचमकालस्थविरकल्पाल्पसंहननसंयमिषु त्रयोदशधोक्तं।</span> = <span class="HindiText">पंचमकाल में स्थविरकल्पी हीन संहनन के धारी साधु को तेरह प्रकार का चारित्र कहा है।</span> | ||
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Revision as of 13:03, 14 October 2020
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/547/714/6 पंचमकालस्थविरकल्पाल्पसंहननसंयमिषु त्रयोदशधोक्तं। = पंचमकाल में स्थविरकल्पी हीन संहनन के धारी साधु को तेरह प्रकार का चारित्र कहा है।