स्थविरकल्प
From जैनकोष
मुनियों का एक भेद-नि:शल्य होकर मूल भावनाओं और उत्तर भावनाओं सहित पाँचों महाव्रतों, पांच समितियों और तीन गुप्तियों को धारण करने वाला मुनि । महापुराण 20.161-170
मुनियों का एक भेद-नि:शल्य होकर मूल भावनाओं और उत्तर भावनाओं सहित पाँचों महाव्रतों, पांच समितियों और तीन गुप्तियों को धारण करने वाला मुनि । महापुराण 20.161-170