जाऊँ कहाँ तज शरन तिहारे: Difference between revisions
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Latest revision as of 03:00, 16 February 2008
जाऊँ कहाँ तज शरन तिहारे ।।टेक ।।
चूक अनादितनी या हमरी, माफ करो करुणा गुन धारे ।।१ ।।
डूबत हों भवसागरमें अब, तुम बिन को मुह वार निकारे ।।२ ।।
तुम सम देव अवर नहिं कोई, तातैं हम यह हाथ पसारे ।।३ ।।
मो-सम अधम अनेक उधारे, वरनत हैं श्रुत शास्त्र अपारे ।।४ ।।
`दौलत' को भवपार करो अब, आयो है शरनागत थारे ।।५ ।।