जय जय जग-भरम-तिमिर: Difference between revisions
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Latest revision as of 03:09, 16 February 2008
जय जय जग-भरम-तिमिर हरन जिन धुनि ।।टेक. ।।
या बिन समुझे, अजौं न, सौंज निज मुनी ।
यह लखि हम निजपर अविवेकता लुनी।।१ ।।जय जय. ।।
जाको गनराज अंग, पूर्वमय चुनी ।
सोई कही है कुन्दकुन्द, प्रमुख बहु मुनी।।२ ।।जय. जय. ।।
जे चर जड भये पीय, मोह बारुनी ।
तत्त्व पाय चेते जिन, थिर सुचित सुनी।।३ ।।जय. जय. ।।
कर्ममल पखारनेहि, विमल सुरधुनी ।
तज विलंब अब करो, `दौल' उर पुनी।।४ ।।जय. जय. ।।